जीवनशैली नहीं, जीवाणुओं से होता है अल्सर
सेहतराग टीम
हाल तक यह माना जाता था कि पेप्टिक अल्सर आज की जीवनशैली की वजह से होने वाली बीमारी है। मगर अब यह बात स्थापित हो चुकी है कि पेट और छोटी आंत के ऊपर होने वाले अधिकांश अल्सर या तो जीवाणुओं के संक्रमण या दवाइयों की वजह से विकसित होते हैं। भोजन नली में भी अल्सर विकसित हो सकता है। अलग-अलग जगहों पर होने वाले अल्सर को अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है। वैसे हद से ज्यादा तनावऔर मसालेदार भोजन भी आपको अल्सर की गिरफ्त में ले जा सकते हैं क्योंकि इन दोनों वजहों से पेट में एसिड बनता है जो कि अल्सर का कारण हो सकता है। इस बीमारी का सबसे आम लक्षण है जलन के साथ तेज दर्द। कई बार यह दर्द बर्दाश्त से बाहर होता है। यह दर्द आपकी नाभी से लेकर छाती की पसलियों के बीच कहीं भी हो सकता है और इसकी अवधि चंद मिनटों से लेकर कई घंटे हो सकती है। पेट खाली रहने की स्थिति में सबसे बुरा हाल होता है। कुछ खाने या एसिड कम करने वाली दवा लेने से तात्कालिक राहत मिलती है।
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अल्सर में कभी-कभी उल्टी में खून भी आता है, अचानक वजन कम हो सकता है और छाती में दर्द की शिकायत भी हो सकती है। अल्सर ऐसी बीमारी नहीं है जिसका कि बिना चिकित्सक की मदद के आप खुद से इलाज करें। एसिड कम करने या एसिड बनने से रोकने जैसी दवाइयां तात्कालिक राहत तो दे सकती हैं मगर पूरी तरह आराम के लिए यह जरूरी है कि चिकित्सक की देखरेख में इसका उपचार किया जाए।
अल्सर का पता लगाने के लिए पेट के अंदरुनी हिस्सों का एक्स रे, एंडोस्कोपी कराया जाता है। अल्सर का शक होने पर संबंधित हिस्से की बायोप्सी भी की जाती है। इसके अलावा खून, श्वास, मल की जांच की जाती है। यदि सही इलाज न कराया जाए तो पेप्टिक अल्सर के कारण अंदरुनी रक्तस्राव, पेट या छोटी आंत की दीवारों में छेद हो सकता है जो कि और भी बड़े संक्रमण का कारण बन सकता है। जहां तक इलाज का सवाल है तो अब यह स्थापित हो चुका है कि अधिकतर अल्सर एच. पाइलोरी बैक्टिरिया के कारण होते हैं। इसलिए दो स्तरीय इलाज की विधि अपनाई जाती है। पहले बैक्टिरिया को मारने के लिए दवाइयां दी जाती हैं और दूसरा पेट में एसिड के स्तर को कम करने का उपाय किया जाता है।
ध्यान देने की बात यह है कि अधिकांश मामलों में अल्सर का इलाज दवाइयों से ही हो जाता है। ऑपरेशन की स्थिति तब आती है जब दवाइयों का बिलकुल असर नहीं हो रहा हो। अल्सर के इलाज के दौरान तनाव घटाने और भोजन पर नियंत्रण के साथ-साथ धूम्रपान-शराब छोडऩे की सलाह भी दी जाती है।
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